Posts

DOHA

DOHA   

EK SHER

Image
 

DOHA =दोहा

 दोह                            11 आप कहें दिन दिन कहें आप कहें तो रात। राजा जी के सामने किसी की क्या औकात।।

GHAZAL =Jise bhi hamne shabista ka razdaar kiya.

ग़ज़ल 09 जिसे भी हमने शबिस्तां का राज़दार किया                   जिसे भी हमने शबिस्तां का राज़दार किया उसी ने ढोल बजा राज़ आशक़ार किया किसी को इश्क़ में हासिल हुए मुकाम बहुत किसी को तन की हवस ने गुनाहगार किया मना न यार ख़ुशामद से या क़सम से फिर कि छेड़ में जो ख़फ़ा हमने एक बार किया निज़ामे दह्र की ख़ातिर ख़ुदा ने भी यारों कोई ग़रीब रखा कोई मालदार किया इसी ख़याल से सहता रहूं दुखों को मैं बुरा किया किसी ने जो यहां पे प्यार किया स्वरचित: AMIR HUSAIN BAREILLY (UTTAR PRADESH)

एक मतला एक शेर

एक मतला एक शेर हम कहानी तुम्हें सुनाते क्या नींद से यकबयक जगाते क्या राहवर के यहां दिवाली थी शहर में दीप जगमगाते क्या

GHAZAL=उम्र भर यार से बस हाथ छुड़ाया न गया

Image
                     ग़ज़ल                        08 GHAZAL=उम्र भर यार से बस हाथ छुड़ाया न गया उम्र भर यार से बस हाथ छुड़ाया न गया इसलिये और कहीं पे जी लगाया न गया पेट की आग बुझाने के लिये  हम से कभी भूल कर शाम को भी रात बताया न गया काम तो हम  भी  बुरे  बक़्त  में    उनके आये बस कभी हम से बो अहसान जताया न गया दिल किसी गुल की तरह आप मसल कर न कहें हम से तो कोई किसी तौर सताया न गया

GHAZAL=दुनिया के किसी दर्द से दो चार नहीं हूं

Image
                    ग़ज़ल                      07 दुनिया के किसी दर्द से दो चार नहीं हूं दुनिया के किसी दर्द से दो चार नहीं हूं जब से मैं किसी तौर तेरा यार नहीं हूं इन्सान हूं इन्सान से बरताब भी बरतो गुज़री हुई तारीख़ का अख़बार नहीं हूं मख़्लूक़ सताने से मुझे बाज़ जरा आ दरबार में फ़रियाद से लाचार नहीं हूं इस जीस्त की ख़ातिर तेरा दीदार ग़िज़ा है सूरत का तलबगार हूं बीमार नहीं हूं